तुम कहती हो, मुझे भूलने कि आदत है।
पर कहाँ भूल पाताहूँ मैं तुम्हारा चेहरा, तुम्हारी आँखें।
यहाँ तक कि एक-एक आंसू जो गिरे उन आँखों से,
और शायद उनकी वजहों को भी।
सब याद है मुझे,
तुम्हारा प्यार भी, जुदाई भी।
तुमसे रूठना भी, तुम्हें मनाना भी।
अब भी बहुत याद आ रही हो तुम।
क्या फिर भी कहोगी,
मुझे भूलने की आदत है।
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