कटी फिर से तन्हा शाम, तेरी यादों के सहारे...
रात भर करवटें बदलता रहा।
परेशां देख कर मुझको सितारे सो गए शायद,
सुबह जागा तो सूरज भी धुंधला-धुंधला था।
तेरी यादों कि खुशबू फिर से काँधों पर सजा ली है,
चलो दिन का कुछ तो इन्तेजाम रहा...
काट लेंगे फिर से तन्हा शाम,
तेरी यादों के सहारे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें