रविवार, 27 फ़रवरी 2011

सुबह की शुरुआत

रात की सियाही आँखों में घुलते ही,
चमकती रौशनी में घोड़ों की दौड़ लगी।
एक मीठे सपनों में खोयी हुई नींद को,
ठन्डे स्पर्श के अनुभव ने तोडा।

माँ ने मंदिर से लौटकर कुछ फूल सिरहाने रखते हुए,
हाथों को सर पे फेर दिया,
और सुबह की शुरुआत हुई।

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