adhbune khwab
A blog on Poetry, Nazms and Ghazals
पेज
मुखपृष्ठ
लेबल
कविता
(33)
ग़ज़ल
(3)
गीत
(2)
नज़्म
(1)
बिखरे शेर
(37)
गुरुवार, 29 अगस्त 2013
Bikhre sher
हँसी, मुस्कान, रिश्ते की बड़ी कमजोर कड़ियाँ हैं,
इसे मजबूत रखता है, बस इक साझा सा गम अपना।
सोमवार, 26 अगस्त 2013
Bikhre sher
भले सौ कोशिशें कर लूँ, कहाँ टिकते हैं मुट्ठी में,
ये दौलत, रेत, पानी और कुछ दिल से जुड़े रिश्ते।
गुरुवार, 22 अगस्त 2013
Bikhre sher
जेहन का एक हिस्सा, जिसमें ख्वाबों की हैं कुछ कब्रें,
बहुत मासूम, बेहद खूबसूरत दिखता है मुझको।
सोमवार, 19 अगस्त 2013
Bikhre sher
मुझे अफ़सोस है, समझाया क्यूँ मँहगाई का मतलब,
कि बच्चे अब, खिलौनों के लिए भी जिद नहीं करते।
गुरुवार, 15 अगस्त 2013
Bikhre sher
तुझे मिलने की कुछ वजहें, अभी भी हैं बची दिल में,
कि कुछ शिकवे-गिले , हमने अभी महफूज़ रक्खे हैं।
सोमवार, 12 अगस्त 2013
Bikhre sher
अधूरी ख्वाहिशों की पर्चियाँ, जेबों में जो रख लूँ,
तो फिर धुंधली नज़र से नज़्म का चेहरा नहीं दिखता।
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)