एक फूल संभाल कर रखा था मैंने, बरसों तक,
देखना अब भी कोट की अगली जेब में पड़ा हो शायद।
वक़्त के साथ सूख भले ही गया हो,
पर रंग-ओ-बू अब भी बाकी होगी उसमे।
टटोलने पर शायद, यादों में, वो दिन भी मिल जाये कहीं।
देखना, मैं अब भी बस स्टैंड पर इंतज़ार तो नहीं कर रहा।
उत्सुक, चौकन्ना सा, हर आने-जाने वालों से नज़रें चुराता हुआ कोई दिखे,
तो पास बुला लेना।
क्या पता, एक फूल संभाल कर रखा हो उसने भी बरसों तक।
शुक्रवार, 10 जून 2011
बुधवार, 1 जून 2011
Rat race
अपनी मर्ज़ी से वो जागता-सोता है अभी,
ग़म हैं सच्चे, हँसी उसकी भी सच ही है अभी।
अजनबियों से भी प्यार से वो मिलता है,
खार सी दुनिया में फूलों की तरह मिलता है।
कब वो कहीं दो घडी टिक के भी भला रहता है,
वो तो खुशबू है हवाओं की तरह बहता है।
छीन ले कोई खिलौना, तो झुंझलाता है,
अनकहे डर से कभी, खुद ही सहम जाता है।
मेरा बच्चा नाकामियों से गाफिल भी नहीं,
शुक्र है, मेरी तरह rat-race में शामिल भी नहीं।
ग़म हैं सच्चे, हँसी उसकी भी सच ही है अभी।
अजनबियों से भी प्यार से वो मिलता है,
खार सी दुनिया में फूलों की तरह मिलता है।
कब वो कहीं दो घडी टिक के भी भला रहता है,
वो तो खुशबू है हवाओं की तरह बहता है।
छीन ले कोई खिलौना, तो झुंझलाता है,
अनकहे डर से कभी, खुद ही सहम जाता है।
मेरा बच्चा नाकामियों से गाफिल भी नहीं,
शुक्र है, मेरी तरह rat-race में शामिल भी नहीं।
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