adhbune khwab
A blog on Poetry, Nazms and Ghazals
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शुक्रवार, 20 सितंबर 2013
Bikhre sher
भले सौ कोशिशें कर लूँ, सिफ़र ही हाथ आता है,
मैं खुद में ढूंढता हूँ, खुद को जब, खुद से ही घबराकर।
सिफ़र = zero
बुधवार, 18 सितंबर 2013
Bikhre sher
लग के मुझसे रोया था, कल शब न जाने कब तलक,
चाँद के रुखसार पे, अश्कों के अब भी दाग हैं।
मंगलवार, 17 सितंबर 2013
Bikhre sher
जब कि मेरी जंग में, मैं ही मुखालिफ हूँ मेरे,
क्यूँ मैं लड़ने के तरीके, पूछता हूँ गैर से।
सोमवार, 16 सितंबर 2013
Bikhre sher
अपनी फरियाद लिए, और कभी आऊँगा,
आज महफ़िल में तेरे, शोर बहुत ज्यादा है।
in response to the crowded ganpati @ visarjan
Bikhre sher
हम आइना नहीं हैं, कि टूटेंगे इक दफे,
किस्तों में टूटने का मज़ा, हमसे पूछिए।
मंगलवार, 3 सितंबर 2013
Bikhre sher
यकीं उनको नहीं होता, हमारी खुश्क आँखों का,
पड़ी है चाँद-चेहरे पे , कई सलवट सवालों की।
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