हाथ तस्बीहें लिए था, दिल में तड़प पर जाम की,
देखें हो क्या इब्तेदा अब, खुशनुमा इस शाम की।
कोई हमसे पूछ बैठा, क्या है अंदाज़े- सुकून,
हँस के हमने ये कहा, थी जिंदगी कब काम की।
कितनी सदियाँ कट गयी, खुद से खुदी की जंग में,
अब तो रहमत बख्स मौला, दे दो घडी आराम की।
kuch dard jo seene me parkate parinde ki tarah ajad hain
जवाब देंहटाएंudna to chahte hain par
nakami ka bojh kuch is kadar bhari hai ki
udna hi bhul gaye