सितारे जब कभी टूटे, बहुत तकलीफ होती है,
अगर आँखों में चुभ जाये, बहुत ही खूँ निकलता है।
कभी जब रात भर जागा, शहर की रौशनी में मैं,
सुबह सूरज से पूछा है, भला तू क्यूँ निकलता है।
हूँ तबसे मुन्तजिर, तू छोड़ कर जबसे गया हमको,
मिला जो पूछ बैठूँगा, बोलो भला कोई यूँ निकलता है।
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