शब1 तलाशती है अँधेरा कोना, दिन में साए की आस रहती है,
क्यूँ उजालों से भर गया है दिल, क्यूँ अंधेरों की प्यास रहती है।
खोया क्या आज सोचता हूँ मैं, जो भी थी कल की नेमतें2, हैं बची,
जाने क्यूँ फिर उदास रहता हूँ, जाने किसकी तलाश रहती है।
सुबह निकला हूँ रूह से छुपकर, शाम ये सर पे चढ़ के बोलेगा,
एक उम्मीद अमन की है अब भी, खुद से चुप्पी की आस रहती है।
1. Night
2. Gifts
bhut khub
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