मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

है खुदी की ज़द में ही सारी खुदाई

झुका सजदे में जब भी मैं, ज़मीं से है सदा आयी,
किसी की बन्दगी क्यूँ, है खुदी की ज़द में ही सारी खुदाई।

जिसे कहती रही दुनिया, ना मिलना बेवफा है वो,
उसी ने थामा है अबके, सिखलाई हमें अब आशनाई।

ना जाने हाल क्या हो , जब फ़रिश्ते बन्दगी में हों,
भला राहें दिखाए कौन, हो किसकी रहनुमाई।

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