मंगलवार, 29 मार्च 2011

वो लौट कर आया नहीं

चंद टुकड़े हैं, ये मेरे जीने का सरमाया नहीं,
बीन कर इसको मैं लेकिन, आज पछताया नहीं।

आज उससे मिल लिए, बातें भी की,
पर थी जिसकी आरजू, वो लौट कर आया नहीं।

भूल जा तू उन पलों को, जिंदगी थे जो कभी,
वो तो ये कह कर गया, मैं ऐसा कर पाया नहीं।

एक सूरज ही चमकता रह गया आठों पहर,
शब में भी आँखों पे मेरी, कोई अब साया नहीं

2 टिप्‍पणियां: