adhbune khwab
A blog on Poetry, Nazms and Ghazals
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सोमवार, 2 मई 2011
डर
है अवचेतन में कोई,
शौर्य है, साहस भी है जिसमे।
है निर्भीक वो,
बल भी है, बल का ज्ञान भी उसमे।
ये सब कहने की बातें हैं,
मैं अन्दर तक डरा सा हूँ।
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