है रंज हमको, दर्द में वो तन्हा क्यूँ रहे,
थी फ़िक्र उनको, उनका ग़म क्यूँ दूसरा सहे।
इतना तो जिंदगी में सुकूँ भी मिले हमें,
सोये अगर तो जागने की फ़िक्र ना रहे।
दुनिया ने कबके छीन ली, पतवार हाथ से,
हम भी बजिद थे, आज तक लहरों के संग बहे।
हर वक़्त दूसरों के लिए जीना ठीक है,
पर काश दूसरों में कोई आप सा रहे।
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