सोमवार, 15 अगस्त 2011

मगर वो राम ना आया

नसीहत दुनिया भर की, कोई नुस्खा, काम ना आया,
मरीज-ए- इश्क को कल सुबह भी, आराम ना आया.

कोई तो बात गहरी है, हमारे पैरहन में आज,
यूँही चलकर तेरी महफ़िल में, हम तक जाम ना आया.

भुलावे में हो तुम, अब भी समझते हो...वो आएगा,
बहुत हैवानियत देखी, मगर वो राम ना आया.

बहुत की कोशिशें मैंने, कि मुझ जैसा वो बन जाए,
उसके नाम भी इक शाम की, मगर बदनाम ... ना आया.

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