मिलते नही शब्द अब ढूंढें से भी
सबके सब गुम हैं मानो, अतल गहराई में।
मैं गोता लगता हूँ भावनाओं के समंदर में,
अन्दर तक भीग जाता हूँ कई बार, पर
जब बाहर आता हूँ तो शब्द नही मिलते,
और भावनाएं मर सी जाती हैं।
मैं जानता हूँ कि एक दिन सड़ने लगेंगी,
ये भावनाएं बिना शब्दों के।
और मैं लूँगा आखरी साँस
इन्हीं भावनाओं के बोझ तले।
This is amazing poetry....Good work Arvind!!
जवाब देंहटाएंWah...
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