शुक्रवार, 27 नवंबर 2009

बस, मत जाओ दीदी

कितना सूना सा लगेगा घर,
जब तुम चली जाओगी।
मैं पल भर में बड़ा हो जाऊंगा,
ना रूठूंगा, ना ही रोक पाउँगा तुम्हे।
पापा अपनी फीकी मुस्कराहट में,
छुपा नही सकेंगे अपने आंसू।
और तुम, उनकी लाडली, जार- जार रोये जाओगी
माँ की गोद में।
मैं सूखी आँखों से बस देखूंगा तुम्हे...
(पता नही क्यूँ तुम्हारे जाने की ख़बर ने,
मुझे बड़ा बना दिया है।)
तुम मुझसे लग कर रोने लगोगी...
और मैं... मैं तो ये भी नही कह पाउँगा...
" मुझे मेरा बचपन लौटा दो
बस, मत जाओ दीदी"

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