शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2011

दुआओं का मुझतक असर नहीं आता

वो मेरे साथ है फिर क्यूँ नज़र नहीं आता,
बात में उसकी कभी मेरा जिकर नहीं आता.

दुआएं माँ की हर वक़्त मेरे नाम रही,
मगर दुआओं का मुझतक असर नहीं आता.

मैं आबलापा हूँ, है जलता हुआ सफ़र मेरा,
मेरी तलाश में एक भी शजर भी नहीं आता.

वही है चेहरा, वही दर्द उसकी आँखों में.
मगर ये अक्स मेरा, मुझसा नज़र नहीं आता.

हूँ उसकी राह में पलकें बिछाए मैं कबसे,
है इतना इल्म उसे, फिर भी इधर नहीं आता.

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