छुपा डाले हैं दिल के दाग सब, मँहगे लिबासों में,
चलो कुछ होश बाकी है अभी, हम बद-हवासों में।
कोई तो मयकदे की टेबलों को, साफ़ कर दे अब,
फ़साने आह भरते हैं, यहाँ खाली गिलासों में।
फरक दिखता नहीं है, बंद आँखों से हमें फिर भी,
चमक मलमल की ढूंढे फिरते हैं, मोटे कपासों में।
बहुत ऊँची फ़सीलें हैं, तेरे चारों तरफ जानम,
हमारी सीढियाँ कमज़ोर हैं, घुन है असासों में।
मुझे अखबार की सुर्खी हमेशा झूठ लगती है,
खबर सच की लगाई है, यूँही अक्सर कयासों में।
फ़साना- story फ़सीलें- walls असास- base कयास-guess
चलो कुछ होश बाकी है अभी, हम बद-हवासों में।
कोई तो मयकदे की टेबलों को, साफ़ कर दे अब,
फ़साने आह भरते हैं, यहाँ खाली गिलासों में।
फरक दिखता नहीं है, बंद आँखों से हमें फिर भी,
चमक मलमल की ढूंढे फिरते हैं, मोटे कपासों में।
बहुत ऊँची फ़सीलें हैं, तेरे चारों तरफ जानम,
हमारी सीढियाँ कमज़ोर हैं, घुन है असासों में।
मुझे अखबार की सुर्खी हमेशा झूठ लगती है,
खबर सच की लगाई है, यूँही अक्सर कयासों में।
फ़साना- story फ़सीलें- walls असास- base कयास-guess
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