adhbune khwab
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शुक्रवार, 21 जून 2013
Bikhre sher
चलो मिल लें कहीं हम, अब किसी बाबत, किसी तरहा,
कि अब तो ख्वाब में भी, शक्लें सारी धुंधली दिखती हैं।
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