सोमवार, 27 मई 2013

Ghazal

इश्क मेरे लिए ये क्या लाया,
इक खलिश, मुफलिसी, कज़ा लाया।

सारी यादें, सभी पुराने ख़त
उफ़ ये तूफ़ान क्या उठा लाया।

दाम अच्छे मुझे भी मिल जाते,
मैं अना अपनी, पर बचा लाया।

है फ़रक कहने और करने में,
ये नया रोग क्या लगा लाया।

वक़्त है रुखसती का, चलता हूँ,
फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया।

खलिश- pang
मुफलिसी- poverty
कज़ा- death
अना- ego

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