बनूँ मैं तुझसा किस तरहा, अलग सा अब ज़माना है,
तुझे दुनिया की परवा थी, मुझे बस घर बचाना है।
कोई ऐसा मिले जो आज भी समझे तेरी बातें,
जिसे पूछूँ वो कहता है, अभी तक तू दिवाना है।
बहुत रोका है सूरज को, हरेक दिन शाम होने तक,
मगर उसको भी शायद, दिन ढले ही घर को जाना है।
सफ़र में धुप है तीखी, सबर रखना बहुत मुश्किल,
अभी गुजरी है दो-पहरी, ये पूरा दिन बिताना है।
कयासें सच सी हैं लगती, है गिरना तयशुदा मेरा,
बचे हैं होश लेकिन सामने, सारा ज़माना है।
रहा है तू नहीं गाफिल मेरे हालात से हमदम,
मगर फिर भी है सुनना तुझसे कुछ, तुझको सुनाना है।
बड़ी बेबस सी राहें हैं, जो मंजिल तक नहीं जाती,
इन्ही पर चलना है हमको, सफ़र यूं ही बिताना है।
तुझे दुनिया की परवा थी, मुझे बस घर बचाना है।
कोई ऐसा मिले जो आज भी समझे तेरी बातें,
जिसे पूछूँ वो कहता है, अभी तक तू दिवाना है।
बहुत रोका है सूरज को, हरेक दिन शाम होने तक,
मगर उसको भी शायद, दिन ढले ही घर को जाना है।
सफ़र में धुप है तीखी, सबर रखना बहुत मुश्किल,
अभी गुजरी है दो-पहरी, ये पूरा दिन बिताना है।
कयासें सच सी हैं लगती, है गिरना तयशुदा मेरा,
बचे हैं होश लेकिन सामने, सारा ज़माना है।
रहा है तू नहीं गाफिल मेरे हालात से हमदम,
मगर फिर भी है सुनना तुझसे कुछ, तुझको सुनाना है।
बड़ी बेबस सी राहें हैं, जो मंजिल तक नहीं जाती,
इन्ही पर चलना है हमको, सफ़र यूं ही बिताना है।
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