adhbune khwab
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बुधवार, 23 जनवरी 2013
Bikhre sher
बहुत कुछ धुल गया है, मुफलिसी की बारिशों में पर,
हथेली से हैं चिपकी, अब भी बेजाँ सी तमन्नाएँ.
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