सोमवार, 28 दिसंबर 2009

बस एक ख्वाब

एक ख्वाब बचाकर रखा है मैंने,
सबकी नज़र से, सिर्फ अपने लिए।
कोई अहमियत नहीं उसकी दुनिया के लिए पर,
जुडा है उसका एक-एक कतरा तुमसे।
मैं चाहता हूँ कि देख पाऊ तुम्हे,बस एक नज़र।
जानता हूँ जबकि कुछ नहीं कहना है मुझे,
(फिर कुछ क्यूँ अनकहा रहा हमारे बीच।)
बस मैं चाहता हूँ कि खो जाऊ गुमनामी के अँधेरे में,
तुम्हे देखने के बाद।

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