इस सारी व्यवस्था में शांति बनाये रखने वाले चाहते हैं,
कि तुम देखो पर तुम्हे एहसास न हो दिखने का।
तुम अपने बहरेपन का ढोंग लिए सुनो,
हर घुटी हुई चीख को।
तुम बोलो पर ध्यान रहे,
आवाज़ बिलकुल नहीं आनी चाहिए।
क्योंकि उठती हुई आवाजों से
मच जायेगा कोलाहल, भंग होगी शांति और,
व्यर्थ जायेगा परिश्रम उन तथाकथिक शांतिदूतों का।
इसलिए इस व्यवस्था और फैली हुई शांति को,
हो रहे हादसों के बीच,
देखिये और देखते जाइये,
बस.... देखते जाइये।
maa kasam, politics me aa jaiye guru aap. :)
जवाब देंहटाएंachchi likhi hai aapne....