adhbune khwab
A blog on Poetry, Nazms and Ghazals
पेज
मुखपृष्ठ
लेबल
कविता
(33)
ग़ज़ल
(3)
गीत
(2)
नज़्म
(1)
बिखरे शेर
(37)
शनिवार, 27 अप्रैल 2013
Bikhre sher
मुझे लगता है अच्छा, शादियों में रात भर जगना,
मैं देखूँ जुड़ते रिश्ते, तो मेरी आँखें नहीं थकतीं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें