सोमवार, 22 नवंबर 2010

पापा

एक हाथ से थामी थी आपने मेरी नन्ही उँगलियाँ
और दूसरे से रास्ता दिखाया था।
कभी कहानियाँ सुनाकर, कभी प्यार से समझाकर।
आज भी उसी रास्ते पर चला हूँ मैं,
कई बार डगमगाया, लडखडाया, पर आपने थाम ली मेरी नन्ही उँगलियाँ।
और कहा "try, try, till you succeed".

अब भी बहुत लम्बा सफ़र है तय करना,
रास्ता शायद पता है मुझे, और डर भी नहीं लगता अब,
क्योंकि जानता हूँ,
थाम लेंगे एक हाथ से आप मेरी नन्ही उँगलियाँ ......

1 टिप्पणी: